पूर्वी मैदानी भाग में कुल जिले आते हैं - 10
जयपुर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, दौसा, सवाईमाधोपुर,टोंक, अलवर व अजमेर के कुछ भाग तथा बाँसवाड़ा के कुछ भाग
यह मैदानी भाग अरावली पर्वतमाला के पूर्व में स्थित है।
इस मैदान का उत्तरी पूर्वी भाग गंगा-यमुना के मैदानी भाग से मिला हुआ है।
इसका ढाल पूर्व की ओर है।
इसका क्षेत्रफल है - राज्य के कुल क्षेत्रफल कालगभग 23% है।
यह मैदानी भाग 50 सेमी. सम वर्षा रेखा द्वारा पश्चिमी मरुस्थलीय भाग से विभाजित है
जनसंख्या : राज्य की लगभग 39% जनसंख्या यहाँ निवास करती है।
इस क्षेत्र का जनसंख्या घनत्व सर्वाधिक है।
वर्षा : 50 सेमी से 80 सेमी वार्षिक के मध्य।
जलवायु : आर्द्र जलवायु।
मिट्टी : जलोढ़ व दोमट मिट्टी
छप्पन का मैदान या भाटी मैदान कहा जाता है - बाँसवाड़ा-प्रतापगढ़-डूंगरपुर के मध्यवर्ती मैदानी भाग को
यहाँ का मुख्य व्यवसाय है - कृषि।
मुख्य फसलें - गेहूँ, जौ, चना, ज्वार, मक्का, बाजरा, तिलहन, सरसों, दालें मूंग, उड़द, अरहर, गन्ना आदि |
इस क्षेत्र में कुओं द्वारा सिंचाई अधिक होती है।
इस प्रदेश का ढाल पूर्व दिशा में है, अतः सभी नदियाँ पश्चिम से पूर्व की ओर बहकर बंगाल की खाड़ी में अपना जल ले जाती हैं।
दक्षिणी मैदानी क्षेत्र का ढाल पश्चिम में होने के कारण माही नदी खम्भात की खाड़ी में गिरती है।
नहरें : भरतपुर नहर व गुडगाँव नहर।
चम्बल के बीहड़ व कंदराएँ (ravines) यहाँ की मुख्य विशेषता हैं।
चंबल बेसिन का ढाल दक्षिण से उत्तर की ओर है
बनास बेसिन का ढाल उत्तर पूर्व व पूर्व की ओर है
माही बेसिन का ढाल पश्चिम में गुजरात राज्य की तरफ है।
विन्ध्यन पठार व हाड़ौती का पठार स्थित है – पूर्वी मैदानी भाग की दक्षिणी-पूर्वी सीमा पर ।
इस बेसिन के पश्चिमी भाग देवगढ़ के आसपास को पीडमांट का मैदान कहते हैं।
पूर्वी मैदानी भाग को निम्न तीन उप-विभागों में विभाजित किया गया है -
बनास बेसिन
बनास व उसकी सहायक नदियों खारी, मोरेल, बेड़च, मेनाल, कोठारी, कालीसिल, माशी आदि द्वारा सिंचित मैदानी भाग बनास बेसिन कहलाता है
बनास बेसिन का दक्षिणी भाग कहलाता है - मेवाड़ का मैदान एवं
बनास बेसिन का उत्तरी भाग कहलाता है - मालपुरा-करौली का मैदान
इस मैदान की अधिकतम ऊँचाई पश्चिम में राजसमंद की तरफ है जहाँ सबसे ऊँचा भाग देवगढ़ के समीप (582 मी.) स्थित है।
बनास बेसिन में शामिल है - राज्य के उदयपुर जिले का पूर्वी भाग, पश्चिमी चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, टोंक, राजसमंद का पूर्वी भाग, जयपुर, पश्चिम सवाई माधोपुर एवं अलवर के दक्षिणी भाग तक है।
बनास बेसिन का उत्तरी-पूर्वी भाग या मालपुरा-करौली का मैदान कटा-फटा एवं बीहड़युक्त है जिसका ढाल दक्षिण पूव-एवं पूर्व की ओर है।
इस भाग में बलुई पत्थर के विशाल जमाव हैं जहाँ से इसका खनन किया जाता है।
यह मैदानी भाग पश्चिम में 50 सेमी. वार्षिक सम वर्षा रेखा द्वारा पृथक है |
चम्बल बेसिन
चम्बल बेसिन क्षेत्र की स्थलाकृति उत्खात स्थलाकृति (Badland Topography) है। इसकी संपूर्ण घाटी में नवीन काँपीय जमाव मौजूद हैं।
इस संपूर्ण क्षेत्र की स्थलाकृतियाँ पहाड़ों व पठारों से निर्मित्त हैं।
इस बेसिन में विशाल बीहड़ (Ravines) हैं
इस मैदानी क्षेत्र शामिल हैं - कोटा, बूंदी, टोंक, सवाई माधोपुर एवं धौलपुर
छप्पन बेसिन
माही एवं उसकी सहायक नदियों द्वारा सिंचित दक्षिणी भाग 'वागड़' नाम से प्रसिद्ध है ।
'छप्पन का मैदान' है - बाँसवाड़ा व प्रतापगढ़ के बीच का क्षेत्र
छप्पन बेसिन में शामिल हैं - दक्षिण-पूर्वी उदयपुर, दक्षिणी बाँसवाड़ा, प्रतापगढ़ व डूंगरपुर के क्षेत्र
इस क्षेत्र का ढाल प्रवणांक अधिक है जो पूर्व से पश्चिम की ओर है।
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें