राजस्थान की पंचवर्षीय योजनाएँ


राजस्थान में आर्थिक नियोजन
(Economic Planning in Rajasthan) 

15 मार्च, 1950 को केन्द्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर योजना आयोग की स्थापना की गई थी। (आर्थिक योजनाओं के निर्माण एवं प्रगति का मूल्यांकन करने हेतु) 
योजना आयोग एक सलाहकारी एवं संविधानेत्तर निकाय है
योजना आयोग का पदेन अध्यक्ष प्रधानमंत्री को बनाया गया है। 
केन्द्र में भाजपा सरकार ने योजना आयोग को भंग कर 1 जनवरी, 2015 से नीति आयोग (Niti Aayog- National Institute for Transforming India) का गठन कर दिया गया है। 
नीति आयोग के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होंगे तथा उपाध्यक्ष एवं अन्य विशेषज्ञ व्यक्ति सदस्य होंगे। 
नीति आयोग प्रथम उपाध्यक्ष राजस्थान के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अरविंद पानगड़िया को बनाया गया है।
नीति आयोग देश के संसाधनों का अनुमान लगाकर तथा प्राथमिकताओं का निर्धारण कर योजनाओं का निर्माण एवं उनकी प्रगति का मूल्यांकन करता है। 
नीति आयोग द्वारा बनाई गई योजनाओं पर राष्ट्रीय विकास परिषद (National Development Council) में विचार विमर्श किया जाता है। 
राष्ट्रीय विकास परिषद का गठन केबीनेट प्रस्ताव द्वारा एक गैर-सांविधिक (संविधानेत्तर) निकाय के रूप में 6 अगस्त, 1952 को किया गया था। 
इसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं। 
राष्ट्रीय विकास परिषद द्वारा योजनाओं की स्वीकृति के पश्चात् उसे संसद में अनुमोदनार्थ प्रस्तुत किया जाता है। संसद की स्वीकृति मिलने के बाद यह प्रारूप योजना का रूप ले लेता है।

राज्य आयोजना बोर्ड 
राज्य स्तर पर राज्य आयोजना विभाग योजनाओं के निर्माण, नियंत्रण एवं मूल्यांकन तथा इनसे संबंधित मामलों में सरकार को सलाह देने के लिए उत्तरदायी है। 
इस कार्य में सहायता हेतु मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य में राज्य आयोजना बोर्ड का गठन किया गया है। 
मार्च, 2015 में राज्य में आयोजना बोर्ड का विघटन कर मुख्यमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद का गठन किया गया है। 
इसका  अध्यक्ष मुख्यमंत्री हैं। 
देश में 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) चली 

राजस्थान की 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) 
देश के लिए 12वीं योजना में आर्थिक विकास दर का लक्ष्य मूलतः 9 प्रतिशत रखा गया था जिसे घटाकर 8.2 प्रतिशत व फिर 8 प्रतिशत किया गया।
राज्य की 12वीं योजना में आर्थिक विकास दर का लक्ष्य 7.7% रखा गया है। 
12वीं योजना में राज्य में सर्वाधिक प्रावधान ऊर्जा के लिए किया गया है।

राजस्थान की पंचवर्षीय योजनाएँ

प्रथम पंचवर्षीय योजना - (1951-56)
सर्वोच्च प्राथमिकता कृषि व सिंचाई को।
शक्ति के साधनों व मूलभूत सामाजिक सेवाओं के विस्तार पर बल।
02 अक्टूबर, 1952 को सामुदायिक विकास कार्यक्रम शुरू। 

द्वितीय पंचवर्षीय योजना - (1956-61)
सिंचाई व शक्ति पर अधिक ध्यान।
2 अक्टूबर, 1959 को नागौर में पंचायती राज की त्रिस्तरीय व्यवस्था का शुभारम्भ।
जमींदारी व जागीरदारी प्रथाओं का उन्मूलन। 

तृतीय पंचवर्षीय योजना - (1961-66)
सिंचाई व शक्ति जैसी आधारभूत सुविधाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता। 
सघन कृषि के तहत् उन्नत बीज, यांत्रिक कृषि व सिंचाई पर बल। 
हरित क्रांति की शुरूआत। 

वार्षिक योजनाएँ (1966-69)
1965 में युद्ध की वजह से 1966 से चौथी पंचवर्षीय योजना लगू नहीं हो सकी। 
अत: 3 वार्षिक योजनाएँ बनी। 
स्वतंत्रता के बाद राज्य में पहली बार ऐसा हुआ था जब योजना में अनुमोदित आकार से अधिक व्यय किया गया। 
इसमें ऊर्जा पर सर्वाधिक व्यय किया गया।

चतुर्थ पंचवर्षीय योजना - (1969-74)
क्षेत्र विकास की अवधारणा को बल एवं समाज के कमजोर वर्ग के लोगों हेतु रोजगार के अवसर बढ़ाने को प्राथमिकता
सूखा संभाव्य क्षेत्र कार्यक्रम, डेयरी विकास व 1974 से कमांड क्षेत्र विकास कार्यक्रम आरम्भ।
आर्थिक विकास दर 7.71% रही। 

पंचम  पंचवर्षीय योजना -  (1974-79)
विकेन्द्रित नियोजन को प्राथमिकता।
सभी जिलों में जिला उद्योग केन्द्रों की स्थापना। 
कमजोर वर्ग के लोगों के आर्थिक उत्थान को सर्वोच्च प्राथमिकता। 
न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम प्रारम्भ व रोजगार सृजन पर बल।

वार्षिक योजना  (1979-80) -
मध्यावधि चुनावों के कारण छठी योजना के प्रथम वर्ष को वार्षिक योजना में तब्दील कर दिया गया। 
इस योजना में ऊर्जा पर सर्वाधिक बल दिया गया।
इस योजना में 14.21% की ऋणात्मक वृद्धि दर्ज की गई। 

षष्ठम् पंचवर्षीय योजना -  (1980-85) 
निर्धनता उन्मूलन एवं रोजगार सृजन के माध्यम से तीव्र ग्रामीणविकास को सर्वोच्च प्राथमिकता।
नये बीस सूत्री कार्यक्रम के क्रियान्वयन पर बल दिया गया। 
एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम (IRDP) एवं राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम (NREP)पर अधिक बल दिया गया तथा बिखरी जनजातियों के लिए माडा (MADA) योजना प्रारम्भ की गई।

सप्तम पंचवर्षीय योजना - (1985-90)
भोजन, कार्य एवं उत्पादकता को प्राथमिकता।
ग्रामीण अर्थ व्यवस्था में निर्धनता उन्मूलन व रोजगारोन्मुखी कार्यक्रमों पर विशेष बल। 
मरु विकास कार्यक्रम की शुरूआत। 

वार्षिक योजनाएँ (1990-92)
अंतरराष्ट्रीय हालातों के कारण 2 वर्ष 1990-91 1991-92 में 8वीं पंचवर्षीय योजना प्रारम्भ नहीं हो सकी तथा इस अवधि में दो वार्षिक योजनाएँ बनाई गई।

अष्टम् पंचवर्षीय योजना - (1992-97)
ऊर्जा विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता।
योजना का आकार 7 वीं योजना से 283.33% अधिक।

नवम् पंचवर्षीय योजना -  (1997-02)
सामाजिक एवं सामुदायिक सेवाओं एवं ऊर्जा को सर्वोच्च प्राथमिकता। 
रोज़गार संवर्द्धन को विकास का केन्द्र माना गया। 
उत्पादक रोज़गार के सृजन द्वारा निर्धनता उन्मूलन।

दसवीं पंचवर्षीय योजना - (2002-07)
राज्य की प्रतिव्यक्ति आय एवं राष्ट्रीय प्रतिव्यक्ति आय के अंतर को कम करना। 
सूचना प्रौद्योगिकी का गाँवों तक विस्तार। 
जल संसाधनों के प्रबन्ध व विकास मूलक क्रियाओं में निजी भागीदारी को प्रोत्साहन। 
नरेगा योजना 2 फरवरी, 2006 से लागू की गई।

11वीं पंचवर्षीय योजना ( 2007-2012) 
11वीं योजना का लक्ष्य तीव्र और समावेशी (Inclusive) विकास रखा गया। 
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में सार्वजनिक परिव्यय में प्रथम स्थान सामाजिक सेवाओं (शिक्षा, चिकित्सा, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, शहरी विकास आदि) को दिया गया
दूसरा स्थान ऊर्जा को दिया गया
यह विकास दर अब तक की सभी पंचवर्षीय योजनाओं की विकास दर में सर्वाधिक रही है। इस योजना में ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन हेतु 2 फरवरी, 2006 से कुछ जिलों में प्रारंभ महात्मा गाँधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MNREGA) को संपूर्ण देश में लागू कर दिया गया। 
11वीं योजना में सर्वाधिक व्यय सामाजिक सेवाओं पर 32.6% (लगभग कुल व्यय का एक तिहाई) किया गया। 
व्यय में दूसरा स्थान ऊर्जा का (23.4%) था।

देश की 12वीं पंचवर्षीय योजना - ( 2012-2017)
गरीबी अनुपात को 10 प्रतिशत से कम करना एवं गैर कृषि क्षेत्र में 5 करोड़ रोजगारों का सृजन 
कृषि उत्पादन क्षेत्र में 4 प्रतिशत विकास दर प्राप्त करना। 
आधार कार्ड पर आधारित बैंकिंग व्यवस्था से सभी सब्सिडी आधारित योजनाओं को प्रत्यक्ष कैश ट्रांसफर योजना से संबंधित करना। 
देश के 90 प्रतिशत परिवारों तक बैंकिंग सुविधाओं का विस्तार करना। 
स्कूल में ठहराव के औसत वर्ष 7 वर्ष तक बढ़ाना।
0-6 वर्ष के आयु वर्ग का बाल लिंगानुपात को बढ़ाकर 950 करना।
देश के गाँवों को बारहमासी सड़कों से जोड़ना तथा योजना के अन्त तक सभी गाँवों का विद्युतीकरण करना।
योजना के अन्त तक देश के 90 प्रतिशत परिवारों तक बैंकिंग सेवाओं की पहुँच सुनिश्चित करना

भारत की पंचवर्षीय योजनाएँ

प्रथम (1951-56)
कृषि व सिंचाई को प्राथमिकता । 
सामुदायिक विकास कार्यक्रम (1952),भाखड़ा नांगल व चम्बल परियाजनाएँ तथा चितरंजन रेल कारखाना प्रारम्भ किया गया। 

द्वितीय (1956-61)
तीव्र औद्योगिक विकास को प्राथमिकता व समाजवादी ढाँचे द्वारा आर्थिक विकास। महालनोबिस मॉडल पर आधारित।
1959 में पंचायती राज व्यवस्था का शुभारम्भ।
भिलाई, राउरकेला व दुर्गापुरा के इस्पात कारखाने स्थापित।

तृतीय (1961-66)
कृषि को पुनः सर्वोच्च प्राथमिकता। 
आत्मनिर्भर एवं स्वयंस्फूर्त अर्थव्यवस्था की स्थापना का लक्ष्य। 
1966 में बोकारो इस्पात कारखाना शुरू।

चतुर्थ(1969-74)
कृषि को प्रधानता। 
स्थिरता के साथ विकास व आत्मनिर्भरता की प्राप्ति का लक्ष्य।

पंचम (1974-78)
गरीबी उन्मूलन व आत्मनिर्भरता की प्राप्ति का लक्ष्य। 
न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम प्रारम्भ। 
26 जून, 1975 में देश में आपातकाल लागू। 
जनता सरकार द्वारा यह योजना एक साल पूर्व मार्च,78 में समाप्त

छठी (1980-85)
गरीबी व बेरोजगारी उन्मूलन तथा ऊर्जा को प्राथमिकता

सातवीं (1985-90)
खाद्यान्न उत्पादन, रोजगार तथा औद्योगिक उत्पादन बढ़ाने को प्राथमिकता एवं सामाजिक न्याय सहित विकास पर बल।
आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया शुरू। 

आठवीं (1992-97)
तीव्र विकास दर के साथ रोजगार सृजन करते हुए निर्धनता व प्रादेशिक असमानता मिटाना मुख्य लक्ष्य। 
मानव विकास को पहली बार सर्वोच्च प्राथमिकता। 
उदारीकरण, वैश्वीकरण व राजकोषीय सुधारों पर अत्यधिक बल। 
जॉन. डब्ल्यू. मिलर के मॉडल पर आधारित योजना। 

नवम् (1997-2002)
नवीं योजना को प्रारम्भ होने के लगभग 2 वर्ष बाद फरवरी, 1999 में स्वीकृति प्रदान की गई। 
ऊर्जा को सर्वोच्च प्राथमिकता। 
न्यायपूर्ण वितरण व समानता के साथ विकास की रणनीति अपनाई गई जिसमें निम्न चार आयामों को प्राथमिकता दी गई:
(a) गुणवत्तायुक्त जीवन 
(b) रोजगार संवर्द्धन ।
(c) क्षेत्रीय संतुलन 
(d) आत्मनिर्भरता 

दसवीं (2002-07)
समानता पर आधारित सतत विकास पर बल। 
पहली बार राज्यवार विकास दर का निर्धारण। 
केन्द्र व राज्य सरकारों की वित्तीय स्थिति में सुधार की पहली बार पहल।
वंचित विशेष लक्षित समूह पर ध्यान। 

ग्यारहवीं (2007-12)
देश की 11वीं योजना में विकास दर 8 प्रतिशत अर्जित की गई जो
अब तक की सभी योजनाओं में सर्वाधिक है।

बारहवीं पंचवर्षीय योजना (2012-2017)
योजना आयोग ने वर्ष 2012 से 2017 तक चलने वाली 12वीं पंचवर्षीय योजना में सालाना 10 फीसदी की आर्थिक विकास दर हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया है.
इस योजना के अंतर्गत विशिष्ट पहचान संख्या के माध्यम से सब्सिडी युक्त नकद हस्तांतरण को सुलभ बनाना
इस योजना में (बारहवीं पंचवर्षीय योजना) कृषि क्षेत्र में विकास की दर को 4% तक प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है
2017 तक गरीबी को 10% कम करते हुए कार्य करना
योजना आयोग ने वर्ष 2012 से 2017 तक चलने वाली 12वीं पंचवर्षीय योजना में सालाना 10 फीसदी की आर्थिक विकास दर हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।


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Milan Tomic

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