मध्यवर्ती अरावली पर्वतीय प्रदेश
aravali parvatiya pradesh | अरावली पर्वतीय प्रदेश |
मध्यवर्ती अरावली पर्वतीय प्रदेश में कुल जिले आते हैं - 13
उदयपुर,चित्तौड़गढ़, राजसमंद, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, भीलवाड़ा, सीकर, झुंझुनूं, अजमेर,सिरोही, अलवर, तथा पाली व जयपुर के कुछ भाग
विश्व की प्राचीनतम पर्वत श्रेणियों में से एक है
अरावली पर्वतमाला राजस्थान के भू-भाग को दो असमान भागों में विभक्त करती है
माना जाता है कि प्राचीन काल में अपने उद्भव के प्रारंभ में ये पर्वत श्रेणियाँ काफी ऊँची (वर्तमान हिमालय से भी अधिक) थी परन्तु धीरे-धीरे अनाच्छादन के परिणामस्वरूप बहुत नीची हो गई हैं।
इन पर्वतों में ग्रेनाइट चट्टानें भी मिलती है जो सेंदड़ा (ब्यावर) के पास अधिक फैली हुई है।
इन पर्वत श्रेणियों में प्रौढ़ावस्था को प्राप्त कर चुकी गहरी घाटियाँ हैं।
दिल्ली के कुछ कह सुपरग्रुप की चट्टानों में क्वार्टजाइट चट्टानों की बहुलता है।
इसमें अरावली सुपर ग्रुप कीचट्टानों में नीस, शिष्ट व ग्रेनाइट चट्टाने अत्यधिक हैं।
राज्य के सम्पूर्ण भू-भाग का 9% भाग इसके अंतर्गत आता है
राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 10% यहाँ निवास करता है
वर्षा: 50 सेमी से 90 सेमी होती है।
अरावली पर्वत राज्य में एक वर्षा (जल) विभाजक रेखा का कार्य करती हैं।
राज्य का सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान है - माउन्ट आबू (लगभग 150 सेमी)
जलवायु : उपआर्द्र जलवायु
मिट्टी : काली, भूरी लाल व कंकरीली मिट्टी।
अरावली पर्वतमाला का विस्तार कर्णवत्त रूप में दक्षिण-पश्चिम में गुजरात में खेड़ ब्रह्म, पालनपुर से लेकर उत्तर-पूर्व में झुंझुनूं खेतड़ी सिंघाना तक श्रृंखलाबद्ध रूप में है, उसके बाद छोटे-छोटे हिस्सों में दिल्ली तक या रायसीना पहाड़ी तक फैली हुई हैं।
इन श्रृंखलाओं की चौड़ाई व ऊँचाई दक्षिण-पश्चिम में अधिक है जो धीरे-धीरे उत्तर-पूर्व में कम होती चली जाती है।
अरावली पर्वत श्रृंखला गौंडवाना लैंड का अवशेष है।
इनकी उत्पत्ति भूगर्भिक इतिहास के प्री. केम्ब्रियन कल्प (प्राचीन कल्प) में हुई थी।
अरावली पर्वत प्रारंभ में बहुत ऊँचे थे परंतु अनाच्छादन के कारण ये आज अवशिष्ट पर्वतों (Residual Mountains) के रूप हैं।
ये अमेरिका के अप्लेशियन पर्वतों के समान हैं।
अरावली पर्वत श्रेणियों के बीच-बीच में चारों ओर पहाड़ों से घिरे हुए बेसिन यथा अलवर बेसिन, बैराठ बेसिन, सरिस्का बेसिन, जयपुर बेसिन, पुष्कर बेसिन, उदयपुर बेसिन, राजसमंद बेसिन, ब्यावर बेसिन, अजमेर बेसिन आदि पाये जाते हैं।
इस क्षेत्र में कई महत्त्वपूर्ण खनिज बहुतायत से मिलते हैं, जैसे, ताँबा, सीसा, जस्ता, अभ्रक, चाँदी, लोहा, मैंगनीज, पेल्सपार, ग्रेनाइट, मार्बल, चूना पत्थर, पन्ना आदि।
मुख्य नाल व दर्रा - देसूरी नाल व हाथी दर्रा, केवड़ा की नाल (उदयपुर),जीलवाड़ा नाल, सोमेश्वर नाल आदि।
इस क्षेत्र के पहाड़ी भागों में भील, मीणा, गरासिया, डामोर आदि आदिवासी जनजातियाँ रहती हैं।
राज्य की सर्वाधिक ऊँची पर्वत चोटी 'गुरु शिखर' (1722 मी.) इसी क्षेत्र (सिरोही) में है। अरावली पर्वत श्रृंखला की कुल लम्बाई 692 किमी है जिसमें से 550 किमी (80%)लम्बी राजस्थान में है।
अरावली के ढालों पर मक्का की खेती विशेषतः की जाती है।
अरावली पर्वत विश्व के प्राचीनतम वलित पर्वत (Folded Mountains) हैं।
अरावली पर्वत श्रेणी राजस्थान की जलवायु को अत्यधिक प्रभावित करती है।
यह उत्तर पश्चिम में सिन्धु बेसिन और पूर्व में गंगा बेसिन के मध्य महान् जल विभाजक रेखा (क्रेस्ट लाइन) का कार्य करती है।
इसके पूर्व में गिरने वाला पानी नदियों द्वारा बंगाल की खाड़ी में तथा पश्चिम में गिरने वाला पानी अरब सागर में ले जाया जाता है। अरावली पर्वतीय प्रदेश की समुद्र तल से औसत ऊँचाई 930 मीटर है।
अरावली की मुख्य श्रेणी क्वार्टजाइट चट्टानों की बनी है।
भूगर्भिक संरचना की दृष्टि से अरावली पर्वत श्रेणियाँ प्री-- कैम्ब्रिज चट्टानी समूह से सम्बन्धित है।
इन्हें दिल्ली सुपर ग्रुप एवं अरावली सुपर ग्रुप की चट्टानों के वर्ग में रखा गया है।
ऊँचाई के आधार पर इस संपूर्ण प्रदेश को निम्न चार भागों में विभाजित किया जाता है। ।1.उत्तर पूर्वी पहाड़ी प्रदेश
2.मध्यवर्ती अरावली श्रेणी
3. मेवाड़ का चट्टानी प्रदेश एवं भोरठ का पठारी क्षेत्र
4. आबू पर्वत खण्ड
उत्तर पूर्वी पहाड़ी प्रदेश
अरावली पर्वतीय क्षेत्र का यह भाग जयपुर की सांभर झील के उत्तर-पूर्व में राजस्थान-हरियाणा सीमा तक फैला हुआ है।
इसमें शामिल की जाती हैं – जयपुर जिले के उत्तर-पूर्व में स्थित शेखावाटी एवं तोरावाटी क्षेत्र की पहाड़ियाँ, जयपुर एवं अलवर की पहाड़ियाँ
इस भाग की समस्त पहाड़ियाँ अपरदित हैं जो क्वार्टजाइट व फाईलाइट शैलों से निर्मित्त हैं।
अरावली पर्वतीय प्रदेश के इस भाग की औसत ऊँचाई 450 मीटर है जो कुछ स्थानों पर 750 मीटर से भी अधिक तक पहुँच गई है।
इस भाग की प्रमुख पर्वत चोटियाँ हैं -
रघुनाथगढ़ चोटी, सीकर (1055 मी.)
खौ चोटी, जयपुर (920 मी.)
बाबाई चोटी, जयपुर (780 मी.)
भैराच चोटी (अलवर, 792 मी.)
बैराठ चोटी, अलवर (704 मी.)
मध्यवर्ती अरावली श्रेणी :
इस क्षेत्र के दो भाग हैं –
शेखावाटी या सीकर-झुंझुनूं की पहाड़ियाँ व
मेरवाड़ा या अजमेर, जयपुर एवं पश्चिमी टोंक जिले की पहाड़ियाँ
मेरवाड़ा की पहाड़ियों में प्रमुख चोटियाँ है -
अजमेर स्थित तारागढ़ (872 मी.)
नाग पहाड़ (795 मी.)
मध्यवर्ती अरावली प्रदेश की औसत ऊँचाई 550 मी. है।
मेवाड़ का चट्टानी प्रदेश एवं भोरठ का पठारी क्षेत्र
इस भू-भाग में उदयपुर, डूंगरपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़ एवं प्रतापगढ़ तथा सिरोही के पूर्वी भाग की पहाड़ियाँ सम्मिलित की जाती हैं।
आबू पर्वत खण्ड के अलावा अरावली पर्वत श्रेणी का उच्चतम भाग है - भोरठ का पठार
भोरठ का पठार स्थित है - कुंभलगढ़ व गोगून्दा के बीच (उदयपुर के उत्तर-पश्चिम में) जिसकी औसत ऊँचाई 1225 मीटर है।
राज्य की तीसरी सर्वोच्च चोटी जरगा (1431 मी.)
भोरठ के पठार का स्वरूप संश्लिष्ठ गाँठ के रूप में है।
लासड़िया का पठार है - जयसमंद झील के पूर्व में
इस क्षेत्र की अन्य चोटियाँ हैं -
गोगून्दा चोटी (840 मी.)
सायरा चोटी (900 मी.)
कोटड़ा चोटी (450 मी.) आदि ।
इसी क्षेत्र से भारत की महान् जल विभाजक रेखा उदयपुर से मुड़कर दक्षिण-पश्चिम की ओर चली जाती है।
आबू पर्वत खण्ड
अरावली पर्वतीय क्षेत्र का उच्चतम भाग है - आबू पर्वत खंड है (जो सिरोही जिले में है।)
इसकी समुद्रतल से औसत ऊँचाई 1200 मी. से भी अधिक है।
इसमें ग्रेनाइट चट्टानों की बहुलता है।
आबू पर्वत खण्ड लगभग 19 किमी. लम्बा एवं 8 किमी.चौड़ा है।
यह एक अनियमित पठार है।
स्थलाकृति की दृष्टि से इसे एक विशाल 'इन्सेलबर्ग' कहा जा सकता है।
राज्य का सर्वोच्च पठार है - उड़िया का पठार (ऊँचाई 1360 मीटर) जो आबू पर्वत से सटा हुआ है और सबसे ऊँची चोटी गुरुशिखर के नीचे है।
इसी क्षेत्र में राज्य की दूसरी सर्वोच्च चोटी सेर (1597 मी.) है
दिलवाड़ा एवं अचलगढ़ चोटी की उंचाई है - 1380 मी.
जसवंतपुरा की पहाड़ियाँ हैं - आबू पर्वत खंड के पश्चिम में हैं जिनमें डोरा पर्वत (869 मी.) प्रमुख चोटी है।
छप्पन की पहाड़ियाँ एवं नाकोड़ा पर्वत कहा जाता है - सिवाना की ग्रेनाइट पहाड़ियाँ को
जालौर पर्वतीय क्षेत्र की प्रमुख चोटियाँ हैं - इसराना भाखर (839 मी.), रोजा भाखर (730 मी.), झारोला भाखर (588 मी.) आदि।
पोतवार का पठार है - अरावली के उत्तरी-पूर्वी छोर पर
उपयोगी जानकारी -
अरावली पर्वतश्रेणी का स्वरूप अजमेर से सिरोही होते हुए गुजरात तक तानपुरे के समान है।
यह उत्तर-पूर्व में कम चौड़ी (सँकरी) तथा नीचे से (दक्षिण-पश्चिम में ) अधिक चौड़ी व विस्तृत है।
अरावली श्रेणियों में मुख्यत: क्वार्टजाइट, नीस, शिष्ट एवं ग्रेनाइट चट्टानें हैं।
राज्य की सबसे ऊँची पर्वत चोटी गुरु शिखर - आबू पर्वत पर है
हिमालय एवं नीलगिरी पर्वतों के मध्य की सबसे ऊँची चोटी है - गुरु शिखर
इस पर्वतीय क्षेत्र में वनस्पति पाई जाती है - ढाक, गूलर, हरड़, आम, जामुन, गुग्गल, शीशम, आँवला, नीम, बहेड़ आदि
छप्पन की पहाड़ियों के नाम से जानी जाती है - सिवाना (जालौर-बाड़मेर) पर्वतीय क्षेत्र में स्थित गोलाकार पहाड़ियाँ यहीं नाकोड़ा पर्वत स्थित है।
जालौर को ग्रेनाइट नगरी कहा जाता है क्योंकि - यहाँ ग्रेनाइट चट्टानों का बाहुल्य है।
अरावली पर्वतमाला का विस्तार उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम तक अरब सागर से आने वाली दक्षिण पश्चिमी मानसूनी पवनों की दिशा के समानान्तर है। फलस्वरूप ये पवनें राजस्थान में बिना वर्षा किये उत्तर दिशा में चली जाती हैं और राज्य का पश्चिमी क्षेत्र सूखा रह जाता है।
इस प्रदेश में वन्य जीव अभयारण्यों में विविध जंगली जीव-जंतु पाये जाते हैं जो पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र हैं।
अरावली पर्वत पश्चिमी मरुस्थल के पूर्व में विस्तार को रोकता है।
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