अजमेर



'राजस्थान के हृदय स्थल','भारत के मक्का ' एवं 'धर्म नगरी' आदि अनेक नामों से प्रसिद्ध है 
अजमेर नगर की स्थापना चौहान राजा अजयराज ने 1113 ई. में की। 
अकबर द्वारा 1558 ई. में अजमेर को मुगल साम्राज्य में मिला लिया गया तथा इसे राजपूताना व गुजरात के नियंत्रण हेतु मुख्यालय बना लिया।
इंग्लैण्ड के शासक जेम्स प्रथम के दूत सर टॉमस रो 22 दिसम्बर, 1615 को अजमेर आ गये थे, उन्होंने जहाँगीर से अकबर के किले (मैग्जीन) में 10 जनवरी, 1616 को मुलाकात की थी एवं भारत में ईस्ट इण्डिया कम्पनी को व्यापार करने की अनुमति प्राप्त की थी।
औरंगजेब द्वारा उत्तराधिकार का अंतिम युद्ध अजमेर के निकट दौराई स्थान पर जीता गया था। 
ब्रिटिश शासन के दौरान अजमेर-मेरवाड़ा क्षेत्र सीधे ब्रिटिश शासन के अधीन केन्द्रीय कमिश्नरी प्रांत था। 
अंग्रेजी शासन के दौरान यहाँ एजीजी (Agent to Governor General) का कार्यालय सर्वप्रथम अजमेर में स्थापित किया गया था। 
स्वतंत्रता के पश्चात् 1956 तक यह 'सी' श्रेणी का राज्य था।
श्री हरिभाऊ उपाध्याय यहाँ के प्रथम एवं एकमात्र मुख्यमंत्री रहे। 
1956 में अजमेर का राजस्थान में विलय किया गया। 
यह राजस्थान का 26वाँ जिला बना।

पुष्कर
अजमेर शहर के उत्तर पश्चिम में है 
यहाँ पवित्र पुष्कर झील है, जिसमें 52 घाट हैं। 
यहाँ ब्रह्माजी का भव्य मंदिर है। 
यह हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल । 
पुष्कर को हिन्दुओं के 5 प्रमुख तीर्थों में सबसे पवित्र माना गया है। 
पुष्कर को आदि तीर्थ व तीर्थराज कहा गया है। 
पुष्कर को 'कोकण तीर्थ' भी कहा जाता था। 
यहीं प्रसिद्ध पौराणिक स्थल पंचकुण्ड स्थित है, जहाँ पांडव कुछ समय तक अज्ञातवास में रहे थे। 
पंचकुण्ड 'कृष्ण अभयारण्य' 'सुधाबाय' के नाम से भी जाना जाता है। 
पुष्कर में प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ला एकादशी से पूर्णिमा तक राजस्थान का सबसे बड़ा सांस्कृतिक मेला पुष्कर मेला' भरता है।
सन्तोष बावला की छतरी भी पुष्कर (अजमेर) में है।

ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह 
भारत में सूफी मत के चिश्ती सिलसिले के संस्थापक ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती थे 
ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती के गुरु हजरत शेख उस्मान हारुनी थे
ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह अजमेर में है जो सभी सम्प्रदायों के लोगों का आस्था स्थल है एवं साम्प्रदायिक सद्भाव का जीवन्त उदाहरण है। 
1464 ईस्वी में माण्डू के सुल्तान महमूद खिलजी के पुत्र सुल्तान गयासुद्दीन ने ख्वाजा साहब की पक्की मज़ार एवं उस पर गुम्बद बनवाया। 
1469 से 1509 के मध्य मांडू के सुल्तान गयासुद्दीन खिलजी द्वारा बुलन्द दरवाजा बनवाया गया। 
मुगल बादशाह अकबर पुत्र सलीम (जहाँगीर) के जन्म के बाद 5 फरवरी, 1570 को आगरा से पैदल चलकर ख्वाजा की जियारत करने आये एवं दरगाह में अकबरी मस्जिद का निर्माण सन् 1571 में करवाया। 
दरगाह में हर वर्ष हिज्री सन् के रज्जब माह की 1 से 6 तारीख तक (6 दिन का) ख्वाजा साहब का विशाल उर्स भरता है। 
प्रतिवर्ष ख्वाजा साहब के उर्स के करीब एक सप्ताह पूर्व बुलंद दरवाजे पर भीलवाड़ा के गौरी परिवार द्वारा झंडा चढ़ाने की रस्म बड़ी धूमधाम से पूरी की जाती है। 
निजाम द्वार : यह दरगाह का मुख्य प्रवेश द्वार है जिसका निर्माण हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली खान द्वारा करवाया गया। 
मुख्य मजार : गरीब नवाज ख्वाजा मुइनुद्दीन हसन चिश्ती की मजार पर निर्मित्त भवन के निर्माण करवाया माण्डू के सुल्तान गयासुद्दीन खिलजी ने। इस भवन का निर्माण कार्य 1537 ई. में पूरा हुआ। 
मजार के भवन के मुख्य द्वार के बाहर बेगमी दालान है जिसका निर्माण बादशाह शाहजहाँ की बेटी जहाँआरा द्वारा करवाया गया था। 
मुख्य मजार के चारों ओर चाँदी का कटहरा जयपुर के संस्थापक महाराज सवाई जयसिंह द्वारा बनवाया गया था। 
शाहजहानी मस्जिद : दरगाह की इस इमारत का निर्माण शाहजहाँ द्वारा 1638 ई. में करवाया गया था। 

दरगाह की अन्य मजारें - 
बीबी हाफिज जमाल (ख्वाजा साहब की पुत्री) की दरगाह l
चिमनी बेगम (शाहजहाँ की बेटी) की दरगाह l(चिमनी बेगम का बालपन में ही चेचक से अजमेर में देहांत हो गया था),
ख्वाजा मुइनुद्दीन के दो पोते की दरगाह l
मांडू के दो सुल्तान की दरगाह l
भिश्ती सुल्तान की दरगाह l
(भिश्ती ने बादशाह हुमायूँ को गंगा में डूबने से बचाया था। इसलिए भिश्ती सुल्तान को डेढ़ दिन के लिए दिल्ली का सुल्तान बनाया गया था।)

ब्रह्मा मंदिर - विश्व प्रसिद्ध ब्रह्मा मंदिर अजमेर के पुष्कर में है।

सावित्री मंदिर पुष्कर के दक्षिण में रत्नागिरी पर्वत पर ब्रह्माजी की पत्नी सावित्री का मंदिर स्थित है। यहाँ भादवा सुदी सप्तमी को मेला लगता है।  

रंगनाथ जी का मंदिर - पुष्कर में द्रविड़ शैली में निर्मित्त भव्य मंदिर है ,यह मूलत: एक विष्णु मंदिर है। 

गायत्री मंदिर पुष्कर के उत्तर में एक पहाड़ी पर प्रसिद्ध गायत्री मंदिर स्थित है। 

वराह मंदिर - चौहान शासक अर्णोराज द्वारा 12वीं सदी में निर्मित्त l यह मंदिर विष्णु के वराह अवतार का मंदिर है। 

सोनी जी नसियाँ - स्व. सेठ मूलचंद जी सोनी द्वारा इसका निर्माण 1864-65 में किया गया। यह जैन सम्प्रदाय का प्रसिद्ध (लाल मंदिर) मंदिर है। इसमें प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ की मूर्ति दर्शनीय है। 

आँतेड़ की छतरियाँ - अजमेर में दिगम्बर जैन सम्प्रदाय की छतरियाँ। 

काचरिया मंदिर - किशनगढ़ (अजमेर) में है । मंदिर में राधाकृष्ण की सेवा निम्बार्क पद्धति से की जाती है।

नवग्रह मंदिर - होली के दूसरे दिन यहाँ डोलोत्सव मनाया जाता है। 

सलेमाबाद - यह निम्बार्क सम्प्रदाय की प्रधान पीठ है। 

खोड़ा गणेश - किशनगढ़ के निकट स्थित गणपति का मंदिर। 

श्री मसाणिया भैरवधाम - अजमेर जिले के राजगढ़ ग्राम में स्थित है। श्री चम्पालाल जी महाराज ने इसकी स्थापना की। 

अढ़ाई दिन का झोंपड़ा - मूलतः बीसलदेव (विग्रहराज चतुर्थ) द्वारा निर्मित्त संस्कृत पाठशाला था , जिसे कुतुबुद्दीन ऐबक (शाहबुद्दीन मुहम्मद गौरी के सेनापति) ने 1206 से 1210 ई. के मध्य अढ़ाई दिन के झोंपड़े में परिवर्तित कर दिया। तभी से इसे इस नाम से जाना जाता है। 

पृथ्वीराज स्मारक - तारागढ़ पहाड़ी पर पृथ्वीराज तृतीय का स्मारक बना हुआ है ,13 जनवरी, 1996 को राष्ट्र को समर्पित किया गया। 

आनासागर झील -आनाजी या अर्णोराज ( पृथ्वीराज के दादा ) द्वारा 1135-50 के मध्य निर्माण करवाया गया । यहाँ सम्राट जहांगीर ने दौलत बाग का निर्माण करवाया एवं बादशाह शाहजहाँ ने संगमरमर बारहदरी का निर्माण करवाया गया। 

फॉय सागर - झील का निर्माण सन् 1891-92 में अभियंता श्री फॉय ने करवाया,इसमें बांडी नदी का जल एकत्र होता है। 

मांगलियावास - अजमेर का एक कस्बा है , यहाँ 800 वर्ष पुराना कल्पवृक्ष का जोड़ा है। 

घोड़े की मजार - अजमेर में तारागढ़ पर हजरत मीरां साहब के दरगाह में है । 

जुबली क्लॉक टावर - अजमेर रेलवे स्टेशन के सामने संगमरमर का जुबली क्लॉक टावर है यह  महारानी विक्टोरिया की स्वर्ण जयंती के स्मृति स्वरूप सन् 1888 में निर्मित्त किया गया। 

बघेरा का तोरण द्वार - अजमेर की दक्षिण-पूर्वी दिशा में है यह द्वार दसवीं - ग्यारहवीं सदी की कला का बेजोड़ नमूना है। 

अब्दुल्ला खाँ का मकबरा - अजमेर में है , मकबरे का निर्माण 1710 ई. में हुआ। 

टूकड़ा का मकबरा - किशनगढ़ में स्थित है। 

चश्मा -ए-नूर - दरगाह के पीछे पहाड़ी की घाटी में है। मुगल बादशाह जहाँगीर द्वारा बनाया गया 

नवग्रह मंदिर - होली के दूसरे दिन यहाँ डोलोत्सव मनाया जाता है। 

सलेमाबाद - यह निम्बार्क सम्प्रदाय की प्रधान पीठ है। 

खोड़ा गणेश - किशनगढ़ के निकट स्थित गणपति का मंदिर। 

श्री मसाणिया भैरवधाम - अजमेर जिले के राजगढ़ ग्राम में स्थित है। श्री चम्पालाल जी महाराज ने इसकी स्थापना की। 

अढ़ाई दिन का झोंपड़ा - मूलतः बीसलदेव (विग्रहराज चतुर्थ) द्वारा निर्मित्त संस्कृत पाठशाला था , जिसे कुतुबुद्दीन ऐबक (शाहबुद्दीन मुहम्मद गौरी के सेनापति) ने 1206 से 1210 ई. के मध्य अढ़ाई दिन के झोंपड़े में परिवर्तित कर दिया। तभी से इसे इस नाम से जाना जाता है। 

पृथ्वीराज स्मारक - तारागढ़ पहाड़ी पर पृथ्वीराज तृतीय का स्मारक बना हुआ है ,13 जनवरी, 1996 को राष्ट्र को समर्पित किया गया। 

आनासागर झील -आनाजी या अर्णोराज ( पृथ्वीराज के दादा ) द्वारा 1135-50 के मध्य निर्माण करवाया गया । 
यहाँ सम्राट जहांगीर ने दौलत बाग एवं बादशाह शाहजहाँ ने संगमरमर बारहदरी का निर्माण करवाया गया। 

फॉय सागर - झील का निर्माण सन् 1891-92 में अभियंता श्री फॉय ने करवाया,इसमें बांडी नदी का जल एकत्र होता है। 

मांगलियावास - अजमेर का एक कस्बा है , यहाँ 800 वर्ष पुराना कल्पवृक्ष का जोड़ा है। 

घोड़े की मजार - अजमेर में तारागढ़ पर हजरत मीरां साहब के दरगाह में है । 

जुबली क्लॉक टावर - अजमेर रेलवे स्टेशन के सामने संगमरमर का जुबली क्लॉक टावर है यह  महारानी विक्टोरिया की स्वर्ण जयंती के स्मृति स्वरूप सन् 1888 में निर्मित्त किया गया। 

बघेरा का तोरण द्वार - अजमेर की दक्षिण-पूर्वी दिशा में है यह द्वार दसवीं - ग्यारहवीं सदी की कला का बेजोड़ नमूना है। 

अब्दुल्ला खाँ का मकबरा - अजमेर में है , मकबरे का निर्माण 1710 ई. में हुआ। 

टूकड़ा का मकबरा - किशनगढ़ में स्थित है। 

चश्मा-ए-नूर - दरगाह के पीछे पहाड़ी की घाटी में है। मुगल बादशाह जहाँगीर द्वारा बनाया गया महल हैl

फूल सागर बीर तालाब - अजमेर में है इसका निर्माण सन् 1872 में कर्नल डिक्सन ने कराया था। डिक्सन ने ही ब्यावर शहर भी बसाया था। (कर्नल डिक्सन अजमेर-मेरवाड़ा स्टेट का  कमिश्नर था ) 
हैप्पी वैली - स्थल अजमेर में है, यह चारों तरफ पहाड़ियों से घिरा स्थल है यहाँ मनोरम झरना भी बहता है। 

पीताम्बर की गाल - किशनगढ़ (अजमेर) में स्थित रमणीक पर्यटन स्थल है l  

बैजनाथ - पुष्कर के पर्यटक स्थलों में सबसे मनभावन पर्यटन स्थल है। 

शौर्य उद्यान - अजमेर के मिलिट्री स्कूल परिसर में है,इस उद्यान का उद्घाटन 27 अप्रैल, 2005 को किया गया। इस उद्यान में देश की रक्षा के लिए शहीद हुए जवानों की वीरगाथाओं का वर्णन है तथा सभी परमवीर चक्र विजेताओं की सचित्र जानकारी की गई है। 

डिग्गी तालाब -अजमेर शहर में अजयमेरू पहाड़ियों के नीचे स्थित डिग्गी तालाब नैसर्गिक जलस्रोत है। 

दादाबाड़ी - जिनदत्त सूरी की स्मृति में निर्मित्त जैन पूजा स्थल है 



SHARE

Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें