अलवर राजस्थान का सिंह द्वार, पूर्वी राज. का कश्मीर, राजस्थान का
स्कॉटलैण्ड नाम से
अलवर की स्थापना राजा प्रताप सिंह
द्वारा की गई।
अलवर क्षेत्र महाजनपद काल में मत्स्य
जनपद के नाम से प्रसिद्ध था जिसकी राजधानी विराटनगर (वर्तमान बैराठ) थी।
पाण्डवों ने अपना अज्ञातवास विराटनगर के
राजा के यहाँ पर ही बिताया था।
नारायणी माता का मंदिर - अलवर में राजगढ़ तहसील के बरवा डूंगरी की तलहटी में है यहाँ
प्रतिवर्ष वैशाख शुक्ला एकादशी को यहाँ नारायणी माता का मेला भरता है।
बाबा मोहनराम का थान - भिवाड़ी के मलिकपुर गाँव में पहाड़ी पर
स्थित है,
तिजारा जैन मंदिर - यह भगवान चंद्रप्रभु (8वें जैन
तीर्थंकर) विशाल मंदिर है। यहाँ देहरा नामक स्थल पर चंद्रप्रभु तिजारा भगवान की
मूर्ति प्राप्त हुई थी।
रावण पार्श्वनाथ मंदिर - अलवर शहर में स्थित जैन मंदिर।
नौगाँवा के जैन मंदिर - दिगम्बर जैन समाज का प्रमुख केन्द्र ।
नौगाँवा के जैनमंदिरों में श्री
मल्लीनाथ जी का नौचौकिया मंदिर अति प्राचीन है, इसका निर्माण संवत् 803 में हुआ।
नौचौकिया मंदिर में स्थित श्री मल्लीनाथ की प्रतिमा की अनूठी विशेषता है की इसकी
पीठ पर प्रशस्ति अंकित है आगे के भाग पर नहीं।
शांतिनाथ भगवान का विशाल मंदिर - नौगावां में है जो ऊपर वाला मंदिर' के नाम से प्रसिद्ध है l
नौगजा जैन मंदिर - अलवर शहर से 60 किमी.
दक्षिण पश्चिम में विशाल जैन मंदिर के अवशेष हैं जिसमें भगवान पार्श्वनाथ की 27 फीट (१ गज) ऊँची प्रतिमा है।
बूढ़े जगन्नाथजी का मंदिर - अलवर में है। इस मंदिर में बूढ़े जगन्नाथजी की एक ऐसी प्रतिमा
भी है जिसके दर्शन भक्त मंदिर साल में मात्र पाँच दिन ही कर सकते हैं।
मूसी महारानी की छतरी - अलवर राजप्रासाद के पीछे सागर तालाब के
किनारे है l इसका निर्माण राजा विनय सिंह ने करवाया
राजा बख्तावर सिंह और मूसी महारानी की स्मृति में, यह लाल पत्थर व सफेद संगमरमर से दो मंजिली इमारत है तथा संगमरमर के
कुल 80 कलात्मक स्तंभों पर टिकी है।
विजय मंदिर पैलेस -विजयसागर बाँध के तट पर निर्मित्त भव्य महल। इसका निर्माण 1918 में अलवर के राजा जयसिंह ने करवाया
तिजारा - चन्द्रप्रभुजी का प्रसिद्ध जैन मंदिर स्थित है।
ईटाराणा की कोठी - अलवर राजा जयसिंह द्वारा निर्मित्त उत्कृष्ट भवन है ।
डीकर - यहाँ आदिमानव के बनाए हुए शैल चित्र मिले हैं।
पुर्जनविहार - इसे कम्पनी गार्डन भी कहते हैं। राजा
मंगलसिंह द्वारा निर्मित्त अनुपम बगीचा। इसके मध्य स्थित समर हाउस को 'शिमला' कहते हैं।
होप सर्कस (कैलाश बुर्ज) - 1939-40 ई.में वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो अलवर आया
था तब इसका निर्माण उनकी पुत्री मिस होप के नाम पर करवाया गया।
फतेहजंग गुम्बद - फतेहजंग की स्मृति में निर्मित्त 5 मंजिला गुम्बद।
सिलीसेढ़ महल - राजा विनय सिंह द्वारा अपनी रानी शीला के लिए प्रसिद्ध
सिलीसेढ़ झील के किनारे निर्मित्त भव्य महल।
पांडुपोल - प्राकृतिक पर्यटन स्थल। कहा जाता है कि अज्ञातवास के दौरान
पांडवों को कौरवों की सेना ने आ घेरा था तब महाबली भीम ने पहाड़ में गदा मारकर
अपना रास्ता निकाला था। तभी से यह स्थान पांडुपोल के नाम से प्रसिद्ध है।
सरिस्का - राजस्थान की दूसरी बाघ परियोजना -1955 में स्थापित। यहाँ पर महाराजा जयसिंह ने ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग के
लिए 1902 में एक शानदार महल 'सरिस्का पैलेस' बनवाया था।
इसमें भर्तृहरि की गुफाएँ, नीलकण्ठ
महादेव मंदिर,
पाराशर आश्रम आदि स्थित हैं।
विजयसागर बाँध - इसका निर्माण सन् 1903 में
महाराजा जयसिंह ने करवाया था।
भर्तृहरि - नाथों का प्रसिद्ध स्थल है। उज्जैन के
राजा व महान योगी भर्तृहरि की इस तपोस्थली में प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ला अष्टमी को
भर्तृहरि का मेला भरता है।
नीमराणा की
बावड़ी - नीमराणा
(अलवर) में है इस 9 मंजिली
बावड़ी का निर्माण राजा टोडरमल ने करवाया था।
टहला की
छतरियाँ - अलवर जिले
के टहला कस्बे में है ये मध्यकालीन छतरी निर्माण तथा भित्ति चित्रकला की
जीती-जागती प्रतिमाएँ हैं।
नैडा की
छतरियाँ - ये अलवर में सरिस्का वन क्षेत्र में है।
तालवृक्ष - ऋषि मांडव्य की तपोभूमि है, अलवर में है
नलदेश्वर महादेव मंदिर - अलवर में है
बालादुर्ग - अलवर में है
विनय विलास महल या सिटी पैलेस - इन्हें महाराजा बख्तावर सिंहजी ने 1793 ई. में बनवाया था
कांकणबाड़ी किला - अलवर में है औरंगजेब ने अपने भाई दारा शिकोह को यहाँ कैद करके
रखा था
सरकार को जैन मंदिरों के संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए यह भारत की प्राचीनतम संस्कृति है।
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