बांसवाडा 'सौ द्वीपों
के शहर' के रूप में प्रसिद्ध है
बांसवाड़ा
राज्य की नींव महारावल उदयसिंह के पुत्र महारावल जगमालसिंह ने डाली थी।
बाँसवाड़ा
व डूंगरपुर दोनों पूर्व में वागड़ राज्य के अंग थे।
प्राचीन
समय में यह वाग्वर प्रदेश (या पुष्प प्रदेश) के नाम से जाना जाता था।
वाग्वर
क्षेत्र पर परमारों का शासन था तथा आथूर्णा उनकी राजधानी थी।
यह जनजाति
बहुल जिला है।
घोटिया
अम्बा - यहाँ अम्बा माता धाम पवित्र तीर्थ हैं।
घूणी के
रणछोड़ -गनोड़ा के निकट स्थित महाभारत
कालीन तीर्थ । यहाँ भगवान रणछोड़राय की प्रतिमा है। रायजी प्रतिवर्ष फाल्गुन
शुक्ला एकादशी (आँवला एकादशी) को यहाँ मेला भरता है।
कालिंजरा
मंदिर -
कालिंजरा गाँव बाँसवाड़ा में हिरन
नदी के किनारे पर बसा है, जहाँ
ऋषभदेव जी का प्रसिद्ध जैन मंदिर है।
छिंछ(बाँसवाड़ा)
- यहाँ विक्रम की 12वीं शती का ब्रह्माजी का मंदिर है जिसमें ब्रह्माजी की चतुर्मुखी मूर्ति विराजमान हैं तथा आंबलिया तालाब की पाल पर छिंछ देवी का प्राचीन
मंदिर है। इस मूर्ति की स्थापना बाँसवाड़ा रियासत के संस्थापक महारावल जगमाल सिंह
ने की थी।
आर्थूणा के
मंदिर -
ये मंदिर वागड़ के परमार राजाओं (11वीं-12वीं सदी)
द्वारा निर्मित्त हैं। आथूर्णा में प्राचीनतम मंदिर गमेला तालाब के पास स्थित
मण्डलेश्वर महादेव मंदिर है। यह मंदिर सप्तायतन शैली में निर्मित्त है व
पूर्वाभिमुखी है। इसे वागड़ के परमार शासक चामुण्डाराज ने वि.सं. 1136 (सन् 1079) में बनवाया था। यहाँ के अन्य मंदिर हैं- सोमनाथ का मंदिर, नीलकण्ठमहादेव मंदिर, कनफटे
साधुओं का मंदिर,
कुंभेश्वर मंदिर, गदाधर का मंदिर आदि।
अर्थूणा का दीप स्तम्भ - बाँसवाड़ा के अर्थूणा में है।
त्रिपुर
सुंदरी मंदिर - तलवाड़ा
(बाँसवाड़ा) से पाँच किमी. दूर (उमराई गाँव) में हैl त्रिपुर -सुंदरी का मंदिर स्थानीय लोगों में तुरताई माता' के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ काले पत्थर की देवी की
अष्टादश भुजा की मूर्ति है। मूर्ति की पीठिका पर मध्य में श्रीयंत्र अंकित है। यह
पांचालों की कुलदेवी है।
सूर्यमंदिर - तलवाड़ा में है यह 11वीं सदी
में निर्मित एक सूर्य मंदिर।
नन्दिनी
माता तीर्थ - बड़ोदिया
नामक कस्बे में पहाड़ पर है। पहाड़ पर दर्शनार्थियों द्वारा पत्थर के छोटे-छोटे
घरोंदे बनाने की परम्परा है। पौष पूर्णिमा को यहाँ भव्य मेला भरता है।
माही बाँध
या माही बजाज सागर बाँध - माही नदी
पर बांसवाडा में है l
अब्दुला पीर
- यह बोहरा सम्प्रदाय के संत अब्दुला पीर
की मजार है। यह भगवानपुरा में स्थित है।
वागड़ के कल्पवृक्ष - बाँसवाड़ा
में बाई तालाब (आनन्द सागर) क्षेत्र में एक प्राचीन उद्यान है जहाँ दो वृक्ष है
इन्हें ही कल्प वृक्ष कहा जाता है।
आनंद सागर झील - बाँसवाड़ा में है।
डाइलाव झील - बाँसवाड़ा में है।
कागदी पिकअप वियर - बाँसवाड़ा में है।
गोविन्द गुरु स्मृति उद्यान - बाँसवाड़ा
में है।
मानगढ़ धाम - बाँसवाड़ा में है।
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