बाराँ



प्राचीनकाल में बाराँ भगवान विष्णु के वराह अवतार के कारण वराहनगरी' के नाम से प्रसिद्ध रहा है। 
यहाँ 15वीं सदी से पूर्व सोलंकी राजपूतों का शासन था। 
स्वतंत्रता के पश्चात् राजस्थान के गठन (30 मार्च, 1949) के बाद यह कोटा जिले में शामिल किया गया। 
10 अप्रैल, 1991 को कोटा से पृथक कर बारां जिले का गठन किया गया। 

भण्डदेवरा शिवमंदिर (रामगढ़) - हाड़ौती का खजुराहो या राजस्थान का मिनी खजुराहो कहा जाता है, यह 10 वीं शताब्दी में निर्मित्त मंदिर है। इसका निर्माण मेदवंशीय राजा मलयवर्मन द्वारा शत्रु पर अपनी विजय के उपलक्ष्य में करावाया गया था तथा वि.सं. 1219 (1162 ई.) में राजा त्रिशावर्मन द्वारा इस देवालय का जीर्णोद्धार किया गया था। यह देवालय पंचायतन शैली का उत्कृष्ट नमूना है। 

गड़गच्च देवालय - इस मंदिर का निर्माण10वीं शताब्दी के आसपास का माना जाता है। अटरू का प्राचीन नाम अटलपुरी अटरू (बाराँ) था। यहाँ के फूल देवरा मंदिर को मामा-भांजा का मंदिर कहते हैं।

शाही जामा मस्जिद- बारां के शाहाबाद में है  यह राजस्थान की बड़ी मस्जिदों में से एक है।इसका निर्माण औरंगजेब के समय में हुआ । 

ब्रह्माणी माता मंदिर - यह मंदिर बारां जिले में सोरसन के समीप है। इसे शैलाश्रय गुहा मंदिर भी कहते हैं। यहाँ ब्रह्माणी माता की पीठ पर शृंगार किया जाता है एवं भक्तगण भी माता की पीठ के ही दर्शन करते हैं। विश्व में संभवतः यह अकेला मंदिर है जहाँ देवी की पीठ की ही पूजा होती है अग्र भाग की नहीं। यहाँ माघ शुक्ला सप्तमी को गधों का मेला भी लगता है। 

काकूनी मंदिर समूह - ये 8वीं सदी के मंदिर बारां जिले के छीपाबड़ौद में या मुकुन्दरा की पहाड़ियों में परवन नदी के किनारे स्थित हैं। 

बांसथूणी शिवालय - यह बारां जिले में गोरा जी के सारण नाले पर निर्मित्त शिवालय है।

सीताबाड़ी - बारां जिले के कैलवाड़ा गाँव के निकट स्थित। यह सहरिया जनजाति का कुंभ माना जाता है। यहाँ सीता व लक्ष्मण का प्राचीन मंदिर तथा वाल्मीकि मंदिर है। यहाँ प्रसिद्ध लक्ष्मण कुण्ड, वाल्मीकि आश्रम, सीताकुण्ड, सूरज कुण्ड, रावण तलाई आदि स्थित हैं। 

बाबाजी बाग - बारां के मांगरोल में बाबाजी बाग का निर्माण शहीद पृथ्वी सिंह हाड़ा की स्मृति में करवाया गया है। 

मांगरोल - टेरीकोट खादी, ढाई कड़ी की रामलीला आदि के लिए प्रसिद्ध है। 

दुगेरी व रेलावन - ये स्थान बारां जिले में इन स्थानों पर एक ताम्रयुगीन सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए हैं। (ताम्रयुगीन सभ्यता आहड़कालीन सभ्यता थी) 

नाहरगढ़ - बारां जिले के किशनगंज में है यह दिल्ली के लाल किले की शैली में निर्मित्त दुर्ग है  इसमें नेकनाम बाबा की दरगाह स्थित है।

औस्तीजी की बावड़ी तथा तपसी की बावड़ी - शाहबाद कस्बे (बाराँ) के पास है

कृष्ण विलास – बाड़मेर के विलासगढ़ मेंl

शेरगढ़ दुर्ग या कोशवर्द्धन दुर्ग - बारां जिले के अटरू तहसील में परवन नदी के किनारे

कपिलधारा तीर्थ - बारां जिले के किशनगंज तहसील में है

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Milan Tomic

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