बाड़मेर



बाड़मेर तेल एवं प्राकृतिक गैस खनिज संपदा का धनी जिला है l
बाड़मेर का यह नाम बाड़मेर के संस्थापक बाहादा राव (बाड़ा राव) ने रखा था। (यानि बाड़ का पहाड़ी किला)
इसे 12वीं सदी में मालानी कहां जाता था 
वर्तमान बाड़मेर जिला 1949 में जोधपुर राज्य को राजस्थान में मिलाने के बाद स्थापित हुआ था। 
राज्य का क्षेत्रफल की दृष्टि से दूसरा सबसे बड़ा जिला भी बाड़मेर है। 
इस जिले की मांडगायिकी, मांगणियार व लंगा गायिकी ने विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। 

श्री रणछोड़रायजी खेड़ मंदिर - बाड़मेर में लूनी नदी के किनारे स्थित है। यह प्रमुख वैष्णव तीर्थ एवं हिन्दुओं का पवित्र धाम है  

खेड में भूरिया का बाबा तथा खोड़िया बाबा रेबारियों के आराध्य देव हैं। यहाँ पंचमुखी महादेव मंदिर, खोडिया हनुमान मंदिर आदि मंदिर भी हैं। 

मल्लीनाथ मंदिर - तिलवाड़ा में मल्लीनाथ जी का समाधि स्थल है। यहाँ उनका प्रसिद्ध मंदिर है। 

ब्रह्मा का मंदिर - बाड़मेर के आसोतरा में ब्रह्मा का मंदिर स्थित है। इसे सिद्ध आसोतरा पुरुष खेताराम जी महाराज ने बनवाया।

श्री नाकोड़ा -  इसे मेवानगर के जैन तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है। बालोतरा के पश्चिम में भाकरियाँ नामक पहाड़ी पर है यह जैन मतावलम्बियों का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान। मुख्य मंदिर में तेईसवें जैन तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा विराजित है। यहाँ नाकोड़ा भैरव जी भी अधिष्ठापित हैं। भक्तों द्वारा इन्हें . 'जागती जोत' माना जाता है। प्रतिवर्ष तीर्थकर पार्श्वनाथ के जन्म महोत्सव के दिन पौष कृष्णा दशमी को यहाँ विशाल मेला लगता है। 

किराडू के मंदिर -राजस्थान का खजुराहो नाम से विख्यात हैl किराडू प्राचीनकाल में परमार शासकों की राजधानी था तथा यह किरात कूप के नाम से विख्यात था। किराडू के मंदिर बाड़मेर के हाथमा गाँव के निकट एक पहाड़ी के नीचे स्थित हैंl किराडू मंदिर 10वीं व 11वीं शती के विष्णु व शिव मंदिर है। यहाँ सर्वप्रसिद्ध सोमेश्वर मंदिर है। यह किराडू का सबसे प्रमुख एवं बड़ा मंदिर है।सोमेश्वर मंदिर महामारु गुर्जर शैली में निर्मित्त है।  किराडू की स्थापत्य कला भारतीय नागर शैली की है। 

जूना बाड़मेर - बाड़मेर से 40 किमी. दूरी पर प्राचीन बाड़मेर शहर 'जूना बाड़मेरके ध्वंशावशेष है।

बाटाडू का कुआँ - 'रेगिस्तान के जलमहल' के नाम से प्रसिद्ध है

वीरातारा माता मंदिर - बाड़मेर के चोहटन तहसील में पहाड़ियों पर हैl वीरातारा माता भोपा जनजाति की कुलदेवी है। यहाँ प्रतिवर्ष माघ एवं भाद्रपद शुक्ला चतुर्दशी को मेला भरता है। 

गडरा का शहीद स्मारक, बाड़मेर - 1965 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए 14 रेल्वे कर्मचारियों की स्मृति में निर्मित्त स्मारक है जहाँ प्रतिवर्ष 19 सितम्बर को उत्तरी रेल्वे मेन्स यूनियन की तरफ से एक मेले का आयोजन होता है। 

खेड़ (वैष्णव तीर्थ स्थल) - बाड़मेर में है

कोटड़ा दुर्ग - बाड़मेर की  शिव तहसील कोटड़ा में है l

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Milan Tomic

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