भरतपुर राजस्थान का प्रवेश द्वार व
पूर्वी द्वार उपनाम से विख्यात है l
भरतपुर शहर जाट महाराजा सूरजमल द्वारा
सन् 1733 में बसाया गया।
ईसा पूर्व 4-5वीं सदी में भरतपुर-धौलपुर का क्षेत्र सूरसेन जनपद का हिस्सा
था।
भरतपुर राजस्थान की पहली जाट रियासत थी, जिसकी स्थापना जाट सरदार चूड़ामन ने औरंगजेब की मृत्यु के बाद
के समय में थून में दुर्ग बनाकर की थी।
गंगा मंदिर - भरतपुर रियासत राजा बलवंत सिंह द्वारा 19वीं शती में निर्मित्त करवाया गया। इस मंदिर की दो मंजिला इमारत चौरासी
खम्बों पर टिकी हुई है। मंदिर में गंगा मैया के वाहन मगरमच्छ की विशाल मूर्ति भी
विराजमान है।
जामा मस्जिद - महाराजा बलवंत सिंह द्वारा निर्मित्त ।
ऊषा मंदिर (बयाना) - भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध की
पत्नी के नाम पर कन्नौज के राजा महीपाल की रानी चित्रलेखा ने सन् 956 में बयाना में ऊषा मंदिर का निर्माण करवाया था। बाद में
मुस्लिम आक्रमणकारियों ने इसे तुड़वाकर उषा मस्जिद का रूप दे दिया।
लक्ष्मण मंदिर- इसका निर्माण राजा बलदेव सिंह ने प्रारंभ किया था, जिसे राजा बलवंत सिंह जी ने पूर्ण करवाया।
ढंढार वाले हनुमानजी का मंदिर - रुदावल कस्बे में कुकन्द नदी के किनारे
हैl
केवलादेव घना- पक्षी अभ्यारण्य 'साइबेरियन
सारस' के लिए प्रसिद्ध है। 1982 में इसे राष्ट्रीय पक्षी अभ्यारण्य - उद्यान घोषित किया गया।
यूनेस्को की विश्व प्राकृतिक धरोहर सूची में 1985 में शामिल।
बयाना - इसका प्राचीन नाम 'श्रीपंथ' था। पुराणों में बयाना नगर
को शोणितपुर कहा गया है तथा बयाना के निकट के पर्वतीय अंचल को शोणितगिरी कहा गया
है। बयाना की ख्याति इसके पास स्थित अनगिनत कब्रगाहों के काली कारण भी रही है। अतः
इसे कब्रगाहों का शहर भी कहते हैं।
वैर - वैर बाग-बगीचों का कस्बा कहलाता है। वैर कस्बे की स्थापना
प्रतापसिंह ने 1726
ई. में की थी। इसे भरतपुर जिले की
लघुकाशी भी कहते हैं। फुलवाड़ी महल, नौलखा बाग, वैर का किला, ऊँटाला का
किला आदि यहाँ के दर्शनीय स्थल हैं।
वैर की
प्रताप फुलवाड़ी - इस प्रताप
फुलवाड़ी का निर्माण सन् 1726 में श्री
प्रतापसिंह ने करवाया था। (भरतपुर रियासत के संस्थापक महाराजा सूरजमल के छोटे भाई)
कामां - पौराणिक ग्रंथों में कामां को काम्यक वन, कदम्ब वन और कामवन कहा गया है l कामां को प्राचीनकाल में ब्रह्मपुर के नाम से भी संबोधित किया जाता
था। यहाँ पुष्टि मार्गीय बल्लभ संप्रदाय की दो पीठ स्थापित हैं। प्रथम गोकुल
चन्द्रजी एवं द्वितीय मदन मोहन जी का प्रसिद्ध मंदिर।
डीग - डीग को जलमहलों की नगरी कहते हैं। डीग
भरतपुर की प्राचीन राजधानी रहा है। यह कस्बा भव्य जल महलों के लिए प्रसिद्ध है।
इसमें प्रमुख हैं -सूरज भवन, गोपाल भवन, नंद भवन, हरिदेव भवन, किशन भवन, केशव भवन व
सावणभादों। अधिकांश महल सन् 1755-1763 के बीच
महाराजा सूरजमल एवं जवाहरसिंह द्वारा बनाये गये है।
खानवा - भरतपुर की रूपवास तहसील में गंभीर नदी
के तट पर है। यहाँ बाबर एवं मेवाड़ के महाराणा सांगा के मध्य 17 मार्च, 1527 को खानवा
का युद्ध हुआ था।
सीकरी बाँध - भरतपुर के इस बाँध से रूपारेल नदी के बाढ़ के पानी से होने
वाली तबाही से बचाव किया जाता है।
नगला जहाज -गाँव में देव बाबा का मंदिर (थान) है। इसे ग्वालों के रक्षक व पालनहार
लोकदेवता के रूप में पूजा जाता है l
महाराजा
सूरजमल का पैनोरमा - भरतपुर में
है।
किशोरी महल - भरतपुर में है।
महाराणा
सांगा का स्मारक एवं पैनोरमा - भरतपुर में
है।
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