चुरू जिला काले हिरणों के अभ्यारण्य व हवेलियों के लिए प्रसिद्ध है।
यहाँ की कोठारी हवेली, ढोलामारु के चित्र, (life size paintings), छः मंजिली सुराणा हवेली (जिसमें 1100, दरवाजे एवं खिड़कियाँ हैं), आदि प्रसिद्ध हैं।
ददरेवा
यह गोगाजी का जन्म स्थान है। भाद्रपद मास में कृष्णा नवमी (गोगानवमी) को यहाँ मेला भरता है।
सालासर बालाजी, सालासर
इस मंदिर की स्थापना 1754 ई. में महात्मा श्री मोहनदास जी ने की थी। यहाँ हनुमान जी का दाढ़ी मूंछ युक्त विग्रह है। इस प्रकार यह देश का ऐसा पहला मंदिर है। सालासर में श्री हनुमान जी की जननी
अंजना देवी का मंदिर भी है।
तिरुपति बालाजी,सुजानगढ़
बैंकटेश्वर फाउन्डेशन ट्रस्ट ने 1994 में सुजानगढ़ में भगवान वेंकटेश्वर तिरुपति बालाजी के मंदिर
का निर्माण करवाया। 75 फीट ऊँचे इस मंदिर का स्थापत्य एवं शिल्प देखने योग्य है।
अन्य स्थान
चुरू का किला, बीनादेसर का किला, धर्मस्तूप (चुरू), साहवा का गुरुद्वारा (यहाँ गुरु नानक देव एवं सन् 1706 में गुरु गोविंदसिंह पधारे थे।
इसकी स्मृति में यह गुरुद्वारा बनाया गया है।) ।
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