राजमहल (गढ़पैलेस) - बूंदी का राजप्रासाद है।
चित्रशाला - बूंदी के राजा उम्मेद सिंह द्वारा निर्मित्त है। चित्रशाला को चित्रकला दीर्घा; चित्रकला का स्वर्ग कहा जाता है।
सुखमहल - जैतसागर झील में है, इसका निर्माण राजा विष्णुसिंह ने करवाया था।
चौरासी खंभों की छतरी - देवपुरा गांव के निकट है, इसे राव अनिरुद्ध द्वारा धायबाई देवा की स्मृति में 1683 में निर्मित्त करवाया गया यह 3 मंजिला स्मारक है।
जैतसागर - बूंदी में है, इस झील का निर्माण बूंदी के अंतिम मीणा शासक जैता ने 13 वीं सदी में करवाया था।
रानी जी की बावड़ी - यह बूंदी नगर में है जो बावड़ियों का सिरमौर है। इस बावड़ी का निर्माण राजा अनिरुद्ध सिंह की विधवा रानी नातावनजी (नाथावतनीजी) ने 18वीं सदी के पूर्वार्द्ध में करवाया था।
अनारकली की बावड़ी - रानी नाथावती की दासी अनारकली द्वारा निर्मित्त। (बूंदी के छत्रपुरा क्षेत्र में)
क्षार बाग (केशरबाग) - यह स्थल बूंदी के दिवंगत राजाओं का समाधि स्थल (शमशान) है। राव राजा शत्रुशाल की मृत्यु हो जाने पर उनकी 64 रानियों ने यहीं उनकी चिता में आहुति दी थी। यहाँ सबसे प्राचीन छतरी कुमार दूदा की है जो राजा सुरजन सिंह के पुत्र थे।
रतनदौलत दरीखाना - यह महल बूंदी के राजप्रासाद में है, इसमें दी नरेशों का तिलक होता था। यहीं पास में चित्रशाला व अनिरुद्ध महल बने हुए हैं।
फूल सागर - इस सरोवर का निर्माण राव राजा भोजसिंह की रक्षिता ने करवाया था।
शिकार बुर्ज - राजा उम्मेदसिंह 1770 ई. में जीते जी राज्य अपने पुत्र अजीतसिंह को सौंप दिया, संन्यास ग्रहण के बाद यहा रहा करते थे। यहीं पर एक ऊँची बुर्ज है जो शाही शिकार के समय प्रयुक्त होती थी।
बांसी दुगारी - यहाँ तेजाजी महाराज का थान है। यह स्थान तेजाजी की कर्मस्थली रहा है।
गंगासागर-यमुनासागर कुण्ड - बूंदी में चौगान दरवाजे के बाहर है,यह कुण्ड रावराजा रामसिंह की रानी चन्द्रभान कँवर द्वारा सन् 1885 में निर्मित्त करवाया गया। इन्हें नागर-सागर कुण्ड भी कहते हैं । बूंदी में ही लंका गेट के पास रावराजा रामसिंह (19वीं सदी) के समय निर्मित्त धाभाइयों का कुण्ड भी है।
मोतीमहल संग्रहालय - बूंदी दुर्ग में है।
बाबा मीर साहब की दरगाह - बूंदी शहर के पूर्वी दिशा में पहाड़ी पर है यह 5 मीनार वाली दरगाह है। सामान्यतः दरगाह (मस्जिद) में 4 मीनारें ही होती हैं।
गरदड़ा रॉक पेंटिग्स - यह विश्व का एक प्राचीनतम शैल चित्र' है, इसे बर्ड राइडर रॉक पेंटिंग कहते हैं गरदड़ा रॉक पेंटिग्स बूंदी जिले के गरदड़ा स्थान पर छाजा नदी के तट पर।
लाखेरी - राज्य की पहली सीमेंट फैक्ट्री यहीं स्थापित हुई थी।
रक्तदंजी माता मंदिर - यह मंदिर सथूर में है। यह माता कंजर जनजाति की आराध्य देवी है।
मियाँ गाँवला - बूंदी जिले के मियाँ गाँव में हडूला लोकोत्सव मनाया जाता है।
बूंदी जिले के अन्य स्थल - छत्र महल, नवलखा झील, हुण्डेश्वर महादेव का मंदिर, कालाजी बावड़ी, नारुजी की बावड़ी, गुल्ला की बावड़ी, चम्पा बाग की बावड़ी व पठान की बावड़ी आदि।
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