Rajsthan ke pramukh prawat pahadiyan v pathar | राजस्थान के प्रमुख पर्वत, पहाड़ीयां व पठार


राजस्थान के प्रमुख पर्वत, पहाड़ियाँ व पठार

       

Rajsthan ke pramukh prawat pahadiyan v pathar | राजस्थान के प्रमुख पर्वत, पहाड़ीयां  व पठार
Rajsthan ke pramukh prawat pahadiyan v pathar | राजस्थान के प्रमुख पर्वत, पहाड़ीयां  व पठार



      प्रमुख पर्वत

सबसे ऊंची पर्वत चोटीराजस्थान की सबसे ऊंची पर्वत चोटी है - गुरु शिखरयह सिरोही जिले के माउण्ट आबू में है इसकी ऊँचाई 1722 मीटर है। यह हिमालय व पश्चिमी घाट की नीलगिरी के मध्य स्थित सर्वाधिक ऊँची चोटी है। कर्नल टॉड ने इसे संतों का शिखर कहा है।

दूसरी सबसे ऊँचीराज्य की दूसरी सबसे ऊँची चोटी - सेर है  (जो सिरोही में है ) 1597 मीटर ऊँची ।

तीसरी सबसे ऊँची राज्य की तीसरी सबसे ऊँची चोटी है - जरगा चोटी (उदयपुर में) जो 1431 मीटर ऊँची है | जरगा चोटी  भोरट के पठार में स्थित है।

राज्य की  सबसे ऊँची पर्वत चोटियाँ हैं-
1 गुरु शिखर चोटी (1722 मी.)
2 सेर चोटी(1597 मी.)
3.दिलवाड़ा चोटी (1442 मी.)
4 जरगा चोटी (1431 मी.)
5. अचलगढ़ चोटी (1380 मी.)
6. आबू चोटी (1295 मी.)
7 कुंभलगढ़ चोटी (1224 मी.)
8 कमलनाथ की पहाड़ी (1001 मी.)
9 ऋषीकेश चोटी (1017 मी.)
10 सज्जनगढ़ चोटी (938 मी)

मध्य अरावली की सबसे ऊँची चोटी है –
तारागढ़ चोटी -  नाग पहाड़ पर (अजमेर में ) ।
आडावाला पर्वत  है - बूंदी जिले में।

आबू पर्वत खंड - की औसत ऊँचाई 1200 से अधिक मीटर है 
यह सिरोही जिले में स्थित है। 
यहीं पर टॉड रॉक एवं हार्न रॉक स्थित है। 
आबू पर्वत खंड का सबसे ऊँचा पठार है - उड़िया का पठार 
आबू पर्वत खंड का दूसरा सबसे ऊँचा पठार है - आबू पर्वत
आबू पर्वत खंड का तीसरा सबसे ऊँचा पठार है - भोरठ का पठार

सुण्डा पर्वत -  भीनमाल (जालौर) के पास हैं इस पर सुण्डा माता का मंदिर है। इस पर्वत पर 2008 में राज्य का पहला रोप वे प्रारंभ किया गया है।

डोरा पर्वत चोटी है - जसवन्तपुरा की पहाड़ियाँ में|


मालाणी पर्वत श्रृंखला -  जालौर एवं बालोतरा के मध्य लूनी बेसिन के मध्यवर्ती घाटी भाग को मालाणी पर्वत श्रृंखला के नाम से पुकारते है।

गिरवा - उदयपुर क्षेत्र में तश्तरीनुमा आकृति वाले पहाड़ों की श्रृंखला को स्थानीय भाषा में 'गिरवाकहते है।
मगरा - उदयपुर का उत्तर पश्चिमी पर्वतीय भाग को कहा जाता है । जरगा पर्वत चोटी यहीं है।

रोजाभाखर (730 मी.) - जालौर पर्वतीय क्षेत्र में हैं।

इसराना भाखर (839 मी.) - जालौर पर्वतीय क्षेत्र में हैं।

झारोला पहाड़ - जालौर पर्वतीय क्षेत्र में हैं।

बीजासण का पहाड़ - मांडलगढ़ के कस्बे के पास स्थित है।

विन्ध्याचल पर्वत -  राजस्थान के दक्षिण-पूर्व में मध्यप्रदेश में है।




पहाड़ियाँ 
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Rajsthan ke pramukh prawat pahadiyan v pathar | राजस्थान के प्रमुख पर्वत, पहाड़ीयां  व पठार


मुकुन्दवाड़ा की पहाड़ियाँ - कोटा व झालरापाटन (झालावाड़) के बीच स्थित है इस भू-भाग का ढाल दक्षिण से उत्तर की ओर है इसलिए चम्बल नदी दक्षिण से उत्तर की ओर बहती है।
मालखेत की पहाड़ियाँ

मालखेत की पहाड़ियाँ - सीकर जिले की पहाड़ियों का स्थानीय नाम है

हर्ष की पहाड़ियाँ - सीकर जिले में है और इसी पर जीणमाता का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है।


भाकर - पूर्वी सिरोही क्षेत्र में अरावली की तीव्र ढाल वाली व ऊबड़-खाबड़ कटक (पहाड़ियां) को स्थानीय भाषा में 'भाकरखा जाता है।

मेरवाड़ा की पहाड़ियाँ - अरावली पर्वत श्रेणियों का टाडगढ़ के पास के भाग को कहा जाता है
मेरवाड़ा की पहाड़ियाँ मारवाड़ के मैदान को मेवाड़ के उच्च पठार से अलग करता है | 

छप्पन की पहाड़ियाँ व नाकोड़ा पर्वत - बाड़मेर के सिवाणा पर्वत क्षेत्र में गोलाकार पहाड़ियाँ  को 'नाकोड़ा पर्वतके नाम से भी जाना जाता है।

त्रिकूट पहाड़ी -  जैसलमेर किला त्रिकूट पहाड़ी पर  है।

चिडिया टूक पहाड़ी - जोधपुर का मेहरानगढ़ किला इसी पर है।

भैराच एवं उदयनाथ की पहाड़ियां हैं  - अलवर में

खो व बाबाई पहाड़ियाँ हैं  - जयपुर जिले में।

जसवन्तपुरा की पहाड़ियाँ हैं  - आबू क्षेत्र के पश्चिम में जालौर तक ।

पठार


मेसा पठार - 620 मीटर ऊँचा पठारी भाग इसी पर चित्तौड़गढ़ का किला है।

उड़िया पठार -  राज्य का सबसे ऊँचा पठार है यह गुरू शिखर से नीचे स्थित है। यह आबू पर्वत से 160 मीटर ऊँचा है।


भोरठ का पठार - 
उदयपुर के उत्तर पश्चिम में गोगुन्दा व कुम्भलगढ़ के बीच स्थित है।
इसकी औसत ऊँचाई 1225 मी. है।
जरगा पर्वत इसी में स्थित है।

लासड़िया का पठार - उदयपुर में जयसमंद से आगे पूर्व की ओर है 


उपरमाल - चित्तौड़गढ़ के भैंसरोड़गढ़ से भीलवाड़ा के बिजोलिया तक का पठारी भाग रियासत काल में 'उपरमाल' के नाम से जाना जाता था।

प्रमुख दर्रे - 

अरावली श्रेणियों के मध्य मेवाड़ क्षेत्र में स्थित तंगरास्तों (दरों) को स्थानीय भाषा में नाल कहते हैं।
मेवाड़ में प्रमुख नालें  हैं -
(1)जीलवा की नाल या पगल्या नाल - माँरवाड़ से मेवाड़ में आने का रास्ता प्रदान करती है।
(2) सोमेश्वर की नाल है  - देसूरी से कुछ मील उत्तर में।
(3) हाथी गुड़ा की नाल  है - देसूरी से दक्षिण में 5 मील दूरी पर । कुंभलगढ़ किले के पास में | 

ब्यावर तहसील में अरावली के 4 दर्रे हैं -
बर का दर्रा,
परवेरिया का दर्रा,
शिवपुर घाट का दर्रा,
सूरा घाट दर्रा।

अन्य उपयोगी जानकारी -



वागड़ (वाग्वर) - बाँसवाड़ा, प्रतापगढ़ व डूंगरपुर के क्षेत्र को स्थानीय भाषा में कहते हैं 

बांगड़ (बांगर) - यह अरावली पर्वत एवं पश्चिम मरुस्थल के मध्य का भाग को कहते है (मुख्यत: झुंझुनूं, सीकर व नागौर )

छप्पन के मैदान बाँसवाड़ा, डूंगरपुर व प्रतापगढ़ के बीच माही बेसिन में 56 ग्राम समूहों या 56 नदी नालों का प्रवाह क्षेत्र का कहा जाता है 

पीडमान्ट मैदान - अरावली श्रेणी में देवगढ़ के समीप स्थित है

थार का मरुस्थल विश्व का एक मात्र मरुस्थल है जो दक्षिणी-पश्चिमी मानसून हवाओं के द्वारा निर्मित्त है। स्थानान्तरित बालूका स्तूपों को स्थानीय भाषा में धरियन नाम से पुकारते हैं।

लघु मरुस्थल - मरुस्थल का पूर्वी भाग जो कच्छ से बीकानेर तक फैला है इसे लघु मरुस्थल कहा जाता है ।

खादर - चंबल बेसिन में 5 से 30 मीटर गहरी खड्ड युक्त बीहड़ भूमि को स्थानीय भाषा में 'खादरकहते हैं।

लूनी बेसिन - अजमेर के दक्षिण पश्चिम से अरावली श्रेणी के पश्चिम में विस्तृत लूनी नदी का प्रवाह क्षेत्र लूनी बेसिन कहलाता है।

चम्बल नदी के द्वारा मिट्टी के भारी कटाव के कारण प्रवाह क्षेत्र में बन गई गहरी घाटियाँ व टीलों  को बीहड़ भूमि या कंदराएँ कहा जाता है। 
राजस्थान में सर्वाधिक बीहड़ भूमि धौलपुर जिले में है। 
राजस्थान व मध्यप्रदेश के सीमावर्ती जिले भिण्डमुरैनाधौलपुर आदि में ये कंदराएँ (Ravines) बहुत हैं।

प्लाया झीलें या खड़ीन - जैसलमेर के उत्तर दिशा में बड़ी संख्या में प्लाया झीलें हैं इन प्लाया झीलों को ही खड़ीन कहा जाता है  ये निम्न कागारों से घिरी रहती हैं। 


रन -  पश्चिमी मरु प्रदेश में बालूका स्तूपों के बीच की निम्न भूमि में जल भर जाने से निर्मित्त अस्थाई झीलें व दलदली भूमि को रन कहते हैं।

लाठी सीरीज क्षेत्र -  जैसलमेर में पोकरण से मोहनगढ़ तक पाकिस्तानी सीमा के सहारे विस्तृत एक भूगर्भीय जल की चौड़ी पट्टी को कहा जाता है 

कूबड़ पट्टी - राजस्थान के नागौर जिले एवं अजमेर जिले के कुछ क्षेत्रों में भूगर्भीय पानी में फ्लोराइड की मात्रा अत्यधिक होने के कारण वहाँ के निवासियों की हड्डियों में टेड़ापन आ जाता है एवं पीठ झुक जाती है इसलिए इसे कूबड़ पट्टी कहते हैं।

ढाँढ या थली - बरखान बालुकास्तूपों की दोनों भुजाओं के बीच वायु की रगड़ से बने गर्त को स्थानीय भाषा में ढाँढ या थली कहते हैं। इसमें वर्षा पानी भरने से प्लाया झील का निर्माण हो जाता है। 
बग्गी या काठी - घग्घर मैदान में पाई जाने वाली समतल व उपजाऊ चिकनी मिट्टी का स्थानीय भाषा में बग्गी या काठी कहा जाता है

मैरा हनुमानगढ़ के उत्तरी इलाके में पाई जाने वाली हल्के पीले रंग की हल्की चिकनी मिट्टी को मैरा कहा जाता है ।

सांभर झील आंतरिक जल प्रवाह का अच्छा उदाहरण है।

वैदिक सरस्वती नदी का उल्लेख मिलता है - ऋग्वेद के दूसरे,तीसरे व  सातवें मण्डल में ।

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Milan Tomic

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9 टिप्पणियाँ:

  1. Sir, dhoniya,Rajasamand(1183 mt) choti rajasthan me 7th number pe aati hai kya...plz doubt clear kro mera

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  2. आबू पर्वत की जो ऊंचाई है वह कितनी है एक्चुअल में अधिक क्या होता है

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  3. छप्पन का पर्वत कहा पर है

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